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चुड़ैल की कहानी | story of witch

चुड़ैल की कहानी

 


कहानी का समय था, बहुत पुरानी बात है, जबकि बड़ी ही डरावनी चुड़ैल एक छोटे से गांव में रहती थी। उसका नाम दुर्गा था। दुर्गा के पास बड़ी शक्तियां थी, और वह बच्चों के बीमार हो जाने पर उन्हें ठीक करने की जादूगरी चिज़ें बनाने का काम करती थी।

 

दुर्गा का बसेरा एक पुराने गुफा के अंदर था, जो कि गांव के पास था। उसके बारे में गांववालों को बहुत कम जानकारी थी, लेकिन वे सभी उससे बहुत डरते थे।

 

एक दिन, गांव के एक बच्चे का बीमार हो गया। उसके माता-पिता ने बहुत सारे चिकित्सकों को बुलवाया, लेकिन बच्चा ठीक नहीं हो रहा था। अंत में, किसी ने उन्हें दुर्गा के बारे में सुनाया।

 

उन्होंने दुर्गा से मदद मांगने का फैसला किया। माता-पिता ने गांव के चुड़ैल के पास जाने का निर्णय किया, लेकिन वे डरते थे कि दुर्गा उनके साथ बुरा कर सकती है।

 

वे धीरे-धीरे उसके गुफा के पास बढ़े और देखा कि दुर्गा एक बुढ़िया दिख रही थी, जिनके हाथ में एक जादूगर की छड़ी थी।

 


दुर्गा ने उनकी आँखों में देखा और हँसते हुए बोली, "तुम लोग क्यों डर रहे हो? मैं किसी को बुरा नहीं करती। मैं तो सिर्फ बच्चों को ठीक करने का काम करती हूँ।"

 

माता-पिता ने उसकी बातों पर भरोसा किया और उन्होंने अपने बच्चे को उसके पास ले जाया। दुर्गा ने बच्चे की चिकित्सा करने का काम किया और बच्चा ठीक हो गया।

 

इसके बाद, गांववाले अधिक भरोसा करने लगे और वे दुर्गा के पास आकर अपनी मुश्किलों का समाधान ढूंढने लगे। दुर्गा ने उनकी मदद की और उन्हें सहायता प्रदान की।

 

समय के साथ, गांववालों के बीच दुर्गा के प्रति उनकी दृढ़ विश्वास बढ़ गया। उन्होंने समझा कि चुड़ैल केवल एक प्राकृतिक शक्ति है, जो अच्छे काम कर सकती है।

 


इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें दूसरों के बारे में अपनी भूभाग्य से नहीं, बल्कि उनके कार्यों और भविष्य के आधार पर निर्णय लेना चाहिए। दुर्गा की देखभाल के बाद, गांववालों ने समझा कि बाहर के दिखावे से नहीं, लोगों के कर्मों से उनकी पहचान करनी चाहिए।

 

इस कहानी से हमें यह भी सिखने को मिलता है कि साहस और सहानुभूति का महत्व होता है, और यह हमें अच्छे और बुरे कर्मों को बेहतर से समझने में मदद करता है।

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