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Tuni chidiyan ki kahani

एक समय की बात है, एक जंगल में बहुत सारे पक्षी बसे थे। उनमें से कुछ प्रशांत और मित्रभावी थे, जबकि कुछ चंचल और मस्तिष्कवान थे। वहां पर गूंज रही थी उनकी खुशियों की अद्वितीय आवाजें। प्रतिदिन, सूर्य की किरणों के साथ उनकी चहचहाहट आसमान को भर देती थी।

 

एक दिन, जंगल के वृक्षों पर गड्ढे खोदने की एक छोटी चिड़िया ने फैसला किया। वह सभी पक्षियों को बुलाकर उन्हें बताने के लिए आह्वान करी कि वे सभी एक साथ मिलकर उन्हें रोकें। पक्षी ने कहा, "हमें एक दिन की चुट्टी लेनी चाहिए, ताकि हम सभी बातचीत कर सकें और एक-दूसरे के साथ खेल सकें।"

 

सभी पक्षियों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और निर्धारित दिन के लिए मंगलमय रूप से तैयार हो गए। दिन आया और पक्षी बागीचे में इकट्ठा हो गए। वे सभी एक साथ बैठे, चहचहाहट करते और खुशियां बाँटते थे।

 

एक दूसरे के साथ बातचीत करते समय, पक्षियों ने एक खास विषय पर चर्चा की। उन्होंने यह जानना चाहा कि कौन सा पक्षी सबसे ऊँचा उड़ता है। सभी अलग-अलग उत्तर देने लगे। कोई कह रहा था कि वही पक्षी सबसे ऊँचा उड़ता है जिसके पंख सबसे बड़े होते हैं। और कोई कह रहा था कि ऊँचाई पंखों के आकार से नहीं, बल्कि उसकी सामर्थ्य से होती है।

 

तब एक बुद्धिमान वनचरी उल्लू उस चर्चा को सुनता हुआ पास से गुजर रहा था। वह देखने के लिए रुक गया और चिंतापूर्वक बोला, "प्रिय पक्षियों, यह बात तो सच है कि पंखों का आकार ऊँचाई में एक अहम भूमिका निभाता है, लेकिन उड़ान उड़ाने के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण चीज़ उस पक्षी की निश्चित क्षमता होती है।"

 

पक्षियों ने उसके कथन को सुना और वहां मौन चाप सा छा गया। अब सभी ने समझ लिया था कि पंखों की छोटी-मोटी बातें वास्तव में महत्वपूर्ण नहीं होती हैं, बल्कि उनका इस्तेमाल कैसे किया जाता है, वही मायने रखता है।

 

इस घटना ने सभी पक्षियों को समझ दिलाया कि वे एक-दूसरे की सामर्थ्य और विशेषताओं का सम्मान करें और एक साथ मिलकर काम करें। वे सभी समझ गए कि सहयोग और समर्पण ही उन्हें सफलता की ऊँचाई तक ले जा सकते हैं।

 

इस घटना के बाद से पक्षियों के बीच सम्पर्क और सद्भाव बढ़ा। वे मिलकर खेलने लगे, एक दूसरे की मदद करने लगे और खुशियों का वितरण करने लगे। वे सभी बहुत खुश थे और उनकी दौड़ती हुई चहचहाहट फिर से उनकी जंगल में गूंजने लगी।

 

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें सभी लोगों की विशेषताओं और सामर्थ्य का सम्मान करना चाहिए। हम सहयोग करके और समर्पण करके एक दूसरे की मदद कर सकते हैं और एक साथ काम करके हमेशा सफलता की ओर आगे बढ़ सकते हैं।,

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