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मोरल कथा: "सत्य और झूठ" | Hindi moral story

 


बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक बच्चा नामक राजू रहता था। राजू बहुत ही सच्चा और ईमानदार बच्चा था। उसके माता-पिता ने उसे सत्य की महत्वपूर्ण शिक्षा दी थी और वह हमेशा सत्य बोलने का प्रतिज्ञान करके बड़ा हुआ था।

 वह एक दिन अपने दोस्त सोमू के साथ बाग में खेल रहा था। सोमू एक झूठा और चालाक बच्चा था, जिसे बचपन से झूठ बोलने का शौक था।

 सोमू ने खेलते समay कुछ फल तोड़कर अपने बगीचे में छिपा दिया और फिर दिन भर अपने दोस्त राजू के साथ बाग में खेला। शाम को, सोमू अपने दोस्त से बोला, "राजू, देखा तुम्हारे बगीचे से मैंने कितने सारे फल तोड़ लिए हैं!"

 राजू बहुत ही हैरान हुआ क्योंकि उसके बगीचे से उसने एक फल भी नहीं तोड़ा था। लेकिन वह बच्चा था और उसने सोचा, "मेरे दोस्त ने तो बहुत सारे फल तोड़ लिए हैं, मुझे भी कुछ फल चाहिए।"

 राजू अपने बगीचे में गया और देखा कि सोमू ने कुछ भी नहीं छुआ है। लेकिन सोमू के झूठ से बहुत परेशान हो गया। वह जानता था कि सच्चाई हमेशा जीतती है।

 राजू ने सोमू से कहा, "सोमू, तुम्हारा झूठ पकड़ गया है। तुम्हें सत्य बोलना चाहिए, चाहे वह चाहे बुरा हो।"

 सोमू शरमसार हुआ और माफी मांगी, "राजू, मैंने झूठ बोलकर गलती की है।"

 इस कथा से हमें यह सिखने को मिलता है कि सच्चाई हमेशा बेहतर होती है, चाहे स्थिति कैसी भी हो। झूठ बोलकर हम शायद कुछ समय के लिए बच सकते हैं, लेकिन अंत में हमारा सच्चाई के साथ खड़ा होना ही हमें जीत दिलाता है।

सच्चाई और ईमानदारी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण होती हैं और हमें यह सिखना चाहिए कि हमेशा सत्य बोलने का परिपत्र रखना चाहिए, चाहे हमें इसके लिए कितनी भी मुश्किलें क्यों न हो।


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