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नैतिक कहानी - सदगुणों का महत्व | moral story in hindi

 


एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक बच्चा नामक अर्जुन रहता था। वह बड़ी ही प्रामाणिक और सदगुणी आत्मा था। उसका सबसे बड़ा गुण यह था कि वह हमेशा सच और ईमानदारी के साथ बर्ताव करता था।

एक दिन, अर्जुन अपने गांव के वृद्ध शिक्षक से मिलने गया। वृद्ध शिक्षक ने उससे एक परीक्षा के बारे में बात की। परीक्षा का उद्देश्य था कि वह गांव के सबसे सदगुणी बच्चे को ढूंढ़ेंगे और उसे एक बड़ा स्वर्ण पुरस्कार देंगे।

अर्जुन ने इस परीक्षा में भाग लिया और वह बड़ी मेहनत से पढ़ाई करता रहा। लेकिन एक दिन उसने एक छोटी सी चोरी की। वह अपने दोस्त की खो रही थी और उसने उसकी पेंशन से कुछ पैसे छुड़ा लिए।

जब परीक्षा का समय आया, अर्जुन बड़ी सही तरीके से उत्तर दिया, लेकिन उसकी आत्मा में एक दुख था कि वह एक छोटी सी चोरी की हवाले से आज़ाद नहीं था।

अर्जुन के जज्बे की बदलती तस्वीर देखकर, वृद्ध शिक्षक ने उसके पास आकर वही पुरस्कार देने का निर्णय लिया।

अर्जुन ने पुरस्कार प्राप्त किया, लेकिन वह खुश नहीं था। उसके मन में एक सवाल बार-बार उठता था कि क्या सत्य और ईमानदारी से चोरी करना सही है।

वह अपने गुरु जी के पास गया और अपने कर्म के बारे में बताया। गुरु जी ने उसे समझाया कि सदगुणों का महत्व बहुत अधिक होता है। वहन ने उसे यह सिखाया कि किसी भी दुख और परेशानी के बावजूद सत्य और ईमानदारी में ही सच्ची खुशियाँ होती हैं।

अर्जुन ने गुरु जी की सीख को गहराई से समझ लिया और फिर से वह वही बच्चा बन गया जो हमेशा सच और ईमानदारी से अपने कर्मों को बर्ताता था।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सच्चाई और ईमानदारी हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण है। हमें कभी भी न चोरी करने का मार्ग चुनना चाहिए और सदगुणों के पालन करने का संकल्प रखना चाहिए। सदगुणों के साथ जीने से हमारे जीवन में सच्ची खुशियाँ आती हैं और हमें आत्मा संतोष मिलता है।

इसलिए, हमें हमेशा सदगुणों का पालन करना चाहिए और सच्चाई और ईमानदारी के साथ अपने कर्मों को बरतना चाहिए।


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